श्रीमद् भगवद गीता के ये 9 उपदेश आपकी जिंदगी बदल देंगे | Geeta Updesh in Hindi

श्रीमद् भगवद गीता के ये 9 उपदेश आपकी जिंदगी बदल देंगे, Geeta Updesh in Hindi, भगवद गीता उपदेश इन हिंदी में

नमस्कार मेरे प्यारे भाईयो और बहनों, आपका हमारे Shridaskmotivation.com ब्लॉग पर स्वागत है। दोस्तों आज हम इस पोस्ट के माध्यम से श्रीमद् भगवद गीता के 9 उपदेश हिंदी में आपके साथ शेयर करने वाले है, जो आपके जीवन को पूरी तरह से बदल सकते है।

दोस्तो यह पोस्ट आप सभी के लिए बहुत ही स्पेशल और जीवन को बदल देने वाली साबित होने वाली है। इसीलिए इस पोस्ट को अंत तक ध्यान से जरूर पढ़िए। तो बिना समय को गवाए चलिए पोस्ट की शुरुआत करते है।

Geeta Updesh in Hindi | भगवद गीता उपदेश इन हिंदी में

श्रीमद् भगवद गीता के ये 9 उपदेश आपकी जिंदगी बदल देंगे | Geeta Updesh in Hindi

Disclaimer: दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपके साथ जो कुछ भी जानकारी शेयर की हुई, वो सब जानकारी हमने हमारे मुख्य शास्त्र श्रीमद भगवद गीता से ली गई हुई है, न की Google और सोशल मीडिया की reels और shorts ली हुई है।

दोस्तों हम यह आपको इसीलिए बता रहे है क्योंकि internet & सोशल मीडिया पर बहुत से ऐसे content creator है, जो अपने views और followers को बढ़ाने के चक्कर में Geeta Gyan के नाम पर लोगों के साथ कुछ भी शेयर कर रहे हैं और हमारे देश के भोले भाले लोगों को गुमराह कर रहे हैं।

दोस्तों में पिछले 3 साल से श्रीमद भगवद गीता का अध्ययन कर रहा हु, और इन 3 सालों में मुझे गीता से जो कुछ भी Gyan प्राप्त हुआ उसे ही में आज आपके साथ शेयर करने जा रहा हूं। दोस्तों में कोई ज्ञानी या ध्यानी या साधु संत नहीं हु, में भी आपकी तरह एक साधारण इंसान हु।

जब से मैने गीता को पढ़ना शुरू किया हुआ है तब से मेरे जीवन में बहुत सारे अच्छे बदलाव आए हुए है। इसलिए में यह चाहता हूं कि आप भी Geeta Gyan को पढ़िए और उसे अपने जीवन में इंप्लिमेंट कीजिए। फिर देखिए कैसे आपका भी जीवन बदलने लगेगा।

लेकिन जब कोई व्यक्ति पहली बार भगवद गीता को पढ़ने के लिए जाता है, तो उसे कुछ भी समझ में नहीं आता है। और कुछ समझ में नहीं आने कारण वो व्यक्ति आगे पढ़ना ही बंद कर देता है। इसीलिए मैने यह सोचा कि क्यों ना Geeta ke Gyan को सरल हिंदी भाषा में ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से आप सभी के साथ शेयर किया जाए, ताकि जो बिगिनर है उसे भी गीता का ज्ञान समझ में आ जाए और उसे वो अपने जीवन में इंप्लिमेंट कर सके।

तो चलिए बिना समय को गवाए चलिए गीता के उपदेशों को आपकें साथ एक एक करके शेयर करते हैं, जो आपके जीवन को पूरी तरह से बदलने में सामर्थ्य रखते हैं।

1. Bhagwat Geeta Updesh in Hindi – कर्म योग पर आधारित

“मनुष्य को सिर्फ कर्म करने का अधिकार है, फल की इच्छा ना करें।”

दोस्तो श्रीमद् भगवद गीता के 2 रे अध्याय के 47 वे श्लोक में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है की मनुष्य को केवल अपना कर्म करने का अधिकार है, किंतु उस कर्म से मिलने वाले फल के अधिकारी तुम (अर्जुन और हम सभी मनुष्य) नहीं हो।

दोस्तों यहां पर भगवान श्री कृष्ण के कहने का अर्थ यह है कि मनुष्य को चाहिए की फल की इच्छा को त्यागकर कर्म को अपना धर्म समझकर करना चाहिए। क्योंकि जो भी मनुष्य कर्म से मिलने वाले फल की प्राप्ति की इच्छा करता है, तो उसका मन उस कर्म फल के बारे में सोचकर अपने कर्म और कर्तव्य से विचलित हो जाता है।

और अपने कर्तव्य से विचलित हो जाने के कारण उस मनुष्य को वो फल प्राप्त नही होता, जिसकी उसने इच्छा की हुई थी। इसीलिए भगवान श्री कृष्ण कहते हैं की मनुष्य केवल अपना कर्म कर सकता है, फल कदापि मनुष्य के अधीन नही है। जो लोग फल की इच्छा से ही कर्म करते हैं, वे लोग सुख दुख आदि के चक्र में फंस जाते हैं और उनकी मना शांति नष्ट हो जाती है।

इसलिए भगवान श्री कृष्ण कह रहे हैं की मनुष्य अपने फल की इच्छा को त्यागकर कर्म को अपना धर्म समझकर करे, तो उसको उसका फल अवश्य मिल जायेगा। परंतु उस फल को वो विधान की इच्छा समझकर स्वीकार कर ले और ज्ञानी व्यक्ति भी इसी योग को अपनाकर कर्म योगी बन जाते हैं।

2. Bhagwat Gita Updesh in Hindi – हम कौन है?

दोस्तों श्रीमद भगवद गीता के 2 रे अध्याय के 17 वे श्लोक से लेकर 25 वे श्लोक तक भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं कि आत्मा अविनाशी, अजन्मा, शाश्वत तथा अव्यय है और भौतिक शरीर के मारे जाने के बाद भी आत्मा का अंत कभी नहीं होता है।

क्योंकि आत्मा को कभी मारा नहीं जा सकता और आत्मा के लिए किसी भी काल में न तो जन्म है और ना हीं मृत्यु है। वह न तो कभी जन्मा है, ना ही कभी जन्म लेता है और ना ही कभी जन्म लेगा। जिस प्रकार मनुष्य अपने फटे पुराने वस्त्र गंदे होने के बाद उसे बदलता है और नए अच्छे वस्त्र पहनता है, ठीक उसी प्रकार यह आत्मा पुराने तथा बूढ़े भौतिक शरीर को त्यागकर नए भौतिक शरीर को धारण करता है।

दोस्तों इससे यह स्पष्ट होता है कि आत्मा का कभी जन्म नहीं होता और मृत्यु भी नहीं होता है। जन्म तो भौतिक शरीर लेता है, जिसका मृत्यु के बाद अंत होता है, लेकिन उस भौतिक शरीर में जो आत्मा (परमात्मा का अंश) बैठी हुई होती है, उसका कभी भी अंत नहीं होता है।

आत्मा को न तो किसी भी शस्त्र के द्वारा मारा जा सकता है और न ही अग्नि के द्वारा जलाया जा सकता है और न ही जल के द्वारा भिगोया जा सकता है और ना ही आत्मा को वायु के द्वारा सुखाया जा सकता है। क्योंकि यह आत्मा अखंडित तथा अघुलनशील है। इसीलिए न तो अग्नि के द्वारा इसे जलाया जा सकता है और ना ही वायु के द्वारा इसे सुखाया जा सकता है।

आत्मा शास्वत, सर्वव्यापी, अविकारी, स्थिर तथा सदैव एक सा रहने वाली और परमात्मा की शाश्वत अंश है। और गीता के 15 वे अध्याय के 7 वे श्लोक में भी भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं कि “इस बद्ध जगत में स्थित सारे जीव (जीवात्माएं) मेरे शाश्वत (जिसका कभी अंत नहीं होता) अंश है और बद्ध जीवन के कारण वे 6 इंद्रियों से घोर संघर्ष कर रहे है और इन 6 इंद्रियों में मन भी सम्मिलित है।

3. गीता उपदेश इन हिंदी – अपने मन को नियंत्रित करो

दोस्तों भगवान श्री कृष्ण ने गीता के 6 वे अध्याय में मनुष्य का सबसे पावरफुल तथा अदृश्य अंग मन के बारे बहुत कुछ बताया हुआ है। जैसे कि मन क्या है, मन को कंट्रोल क्यों करना चाहिए और मन को कंट्रोल कैसे करे आदि इत्यादि…

दोस्तों मैने इस विषय पर पहले ही एक पोस्ट पब्लिश की चुकी है, जो कि भगवद गीता पर आधारित है। अगर आप अपने मन के विषय में जानकारी प्राप्त करके, अपने मन को नियंत्रित करना चाहते हैं? तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके हमारे द्वारा लिखी हुई पोस्ट को जरूर पढ़े।

4. Geeta Ke Updesh in Hindi – भोजन और नींद पर गीता ज्ञान

दोस्तों भगवद गीता में भोजन और नींद पर भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि जो व्यक्ति अधिक भोजन खाता है या बहुत ही कम भोजन खाता है और जो व्यक्ति अधिक सोता है अथवा प्रयाप्त नहीं सोता है, उसके भक्त तथा योगी बनने की कोई संभावना नहीं है।

और जो व्यक्ति अपने खाने पीने, आमोद प्रमोद और काम करने की आदतों में नियमित रहता है, वह अपने योगाभ्यास के द्वारा समस्त भौतिक क्लेशों को नष्ट कर सकता है और वहीं व्यक्ति मेरा शुद्ध भक्त बन सकता है।

5. Geeta Updesh For Students in Hindi – खुशी के 3 प्रकार

दोस्तो भगवद गीता के अनुसार इस दुनिया में 3 प्रकार की खुशी होती है।

तामसिक खुशी:

दोस्तो पहली प्रकार की तामसिक खुशी हमे ज्यादा सोने से या ज्यादा आलसी होने के वजह से मिलती है, यानी की आराम करने वाली खुशी।

राजसिक खुशी:

दोस्तो राजसिक खुशी हमे जो किसी material Goal को अचिव करने के बाद मिलती है, जैसे की “पैसे कमाना, गाड़ी खरीदना, दारू पीना” आदि चीजे करने से जो हमे खुशी मिलती है, वो राजसिक खुशी कहलाती है।”

सात्विक खुशी:

दोस्तो ये जो तीसरी प्रकार की खुशी होती है ना, उसे सात्विक खुशी कहते हैं। भगवद गीता ये कहती हैं की तामसिक और राजसिक ये दोनो खुशियां अस्थाई होती है, पर सात्विक खुशी है ना वो पहले हमे जेहर की तरह लगती है, लेकिन बाद में वो हमें शहद की तरह लगने लगती है।

दोस्तो Long Term और Permanent खुशी हमे Discipline और Spiritual studies करने से ही मिलती है, जिसे सात्विक खुशी भी कहते हैं। दोस्तो आप ज्यादा तर किस तरह की खुशी में होते हो? यह हमे नीचे कमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके जरूर बताएं।

6. Krishna Updesh in Hindi – गीता के अनुसार परब्रह्म (भगवान) कौन है?

दोस्तों भगवद गीता और बाकी के अन्य मुख्य शास्त्रों के अनुसार जैसे कि श्रीमद भागवत महापूरान, ब्रह्म संहिता, विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण, नारद पुराण, गरुड़ पुराण, हरिवंश पुराण और वामन पुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण (भगवान विष्णु) ही परम पुरूषोत्तम भगवान (परब्रह्म) है।

दोस्तों अब में आपको भगवद गीता के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक बताता हु, जो यह सिद्ध करते है कि श्री कृष्ण (भगवान विष्णु) ही परम पुरूषोत्तम भगवान है। दोस्तों गीता के 9 वे अध्याय के 17 वें श्लोक में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है कि हे अर्जुन में ही इस ब्रह्माण्ड का पिता, माता, आश्रय तथा पितामह हु।

और में ही लक्ष्य, पालनकर्ता, साक्षी, स्वामी, धाम, शरणस्थली तथा अत्यंत प्रिय मित्र हु। में ही श्रृष्टि तथा प्रलय, सबका आधार, आश्रय तथा अविनाशी बीज हु। और में ही समस्त आध्यात्मिक तथा भौतिक जगतों का कारण हु और प्रत्येक वस्तु मुझ ही से ही उद्भूत (उत्पन्न) है।

जो बुद्धिमान यह भलीभांति जानते हैं वे मेरी प्रेमाभक्ति में लगते है और हृदय से पूरी तरह मेरी पूजा में तत्पर होते हैं। और दोस्तों 7 वे अध्याय के 6 और 7 वे श्लोक में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है कि हे अर्जुन, इस जगत में जो कुछ भी भौतिक तथा आध्यात्मिक है, उसकी उत्पत्ति तथा प्रलय में ही हु।

और मुझ से श्रेष्ठ कोई सत्य नहीं है। जिस प्रकार मोती धागे में गूथे हुए रहते है, ठीक उसी प्रकार सब कुछ मुझ ही पर आश्रित है। में समस्त जीवों के हृदय में स्थित परमात्मा हु और में ही समस्त जीवों का आदि, मध्य तथा अंत हु।

दोस्तों भगवद गीता में ऐसे बहुत सारे श्लोक है जो यह clearly बताते है कि श्री कृष्ण (भगवान विष्णु) ही परम पुरूषोत्तम भगवान है। दोस्तों अगर आप इस विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप नीचे दिए कॉमेंट box कॉमेंट करके हमें जरूर बताइए। हम इस विषय पर एक डिटेल्स में एक आर्टिकल जरूर लिखेंगे, जो कि शास्त्रों पर आधारित होगा।

7. श्री कृष्ण गीता उपदेश – नर्क के 3 द्वार

दोस्तों भगवद गीता के अनुसार नर्क के 3 द्वार है और जो लोग नर्क जाने से बचना चाहते हैं और भगवद प्राप्ती करना चाहते हैं? उन लोगों को यह पता होना चाहिए है कि कौन से है वो 3 मेन द्वार है, जो मनुष्य को नर्क में ले जाते है। तो अब चलिए जानते है कि गीता के अनुसार नर्क के 3 द्वार कौन कौन से है।

दोस्तों गीता के 16 वे अध्याय के 21 और 22 वे श्लोक में श्री भगवान अर्जुन से कहते है कि हे अर्जुन, काम, क्रोध और लोभ यह नर्क के 3 द्वार है। और प्रत्येक बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए कि इनको त्याग दें, क्योंकि इनसे आत्मा का पतन होता और भगवद प्राप्ती नहीं होती है।

और जो व्यक्ति इन 3 नर्क के द्वारों से बच जाता है, तो वह व्यक्ति आत्म साक्षात्कार (भगवद प्राप्ती) के सर्वोच्च पद को प्राप्त होता है। दोस्तों इसीलिए अगर आपको भगवद प्राप्ती करनी है, तो आपको गीता के अनुसार बताए हुए इन नर्क के 3 द्वारों से बचना चाहिए।

8. Geeta Ka Updesh Hindi Me – जन्म मृत्यु और अंत काल

दोस्तों जन्म मृत्यु और भगवद प्राप्ती पर गीता के 8 वे अध्याय के 6, 7, 8 वे श्लोक में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है कि मनुष्य अपने शरीर को त्यागते समय जिस जिस भाव का स्मरण करता है, तो वह मनुष्य उस भाव को निश्चित रूप से प्राप्त होता है।

उदाहरण के लिए अगर मरने से पहले किसी व्यक्ति को किसी पशु का भाव स्मरण आता है, तो अगले जन्म में उस व्यक्ति को उस पशु का शरीर मिलना निश्चित है। और यह बिल्कुल सत्य है क्योंकि महाराज भरत भगवान के बहुत बड़े भक्त थे, लेकिन उन्होंने एक हिरन के बच्चे को पाल रखा था और उससे वो बहुत ही ज्यादा प्रेम करते थे।

दोस्तों हिरन के उस बच्चे से बहुत ही ज्यादा आसक्ति होने के कारण उनको मरने से पहले हिरन के उस बच्चे का स्मरण हुआ और उसी कारण उनको अगला जन्म हिरन का मिला था। इसलिए भगवान ने कहा है कि हे अर्जुन तुम्हे मेरे राम, कृष्ण, हरि इनमें से किसी भी एक रूप का सदैव चिंतन करना चाहिए और अपने सारे कर्तव्यों को पूरा करना चाहिए।

अगर तुमने और मेरे और किसी भी जीव ने जीवन के अंत काल में केवल मेरा स्मरण किया तो वह तुरंत मुझको प्राप्त होता है और इसमें रंच मात्र भी संदेह नहीं है।

दोस्तों यह बात भी बिल्कुल सत्य है क्योंकि श्रीमद भागवत में एक सत्य कथा आती है अजामिल की जो वैश्या गमन करता था और बहुत ही ज्यादा पापी व्यक्ति था। उसने अपने बेटे का नाम नारायण रखा हुआ था, जो कि एक भगवान का नाम है।

जब उसका अंतिम समय निकट आया हुआ था और यमदूत उसको लेने के लिए उसके पास आए हुए थे, तब उसने डर के मारे अपने बेटे को नारायण को पुकारा। लेकिन नारायण नाम तो भगवान का है और नारायण नाम लेने कारण तभी वहां पर विष्णु दूत आ गए और उन्होंने अजामिल को यम दूतों से छुड़ाकर वैकुंठ लोक (भगवान का धाम) में ले गए।

दोस्तों इससे हमे यह पता चलता है कि भगवान कितने दयालु है और उनके नाम में कितनी शक्ति है। कोई व्यक्ति कितना ही पापी क्यों न हो लेकिन अगर वो अपने अंतिम काल में भगवान के नाम का उच्चारण भी करता है, तो उसके सारे पाप नष्ट हो जाते है और वो व्यक्ति भगवान को प्राप्त होता है।

“दोस्तों इसी विषय पर प्रेमानंद जी महाराज बहुत ही महत्वपूर्ण बात कहते हैं कि अजामिल ने तो अपने पुत्र के बहाने नारायण बोला था और उसको भगवद प्राप्ती हो गई, लेकिन हम तो जान बूझकर राधा राधा, कृष्ण कृष्ण, राम राम, हरि हरि, नारायण नारायण बोल रहे हैं, तो क्या हमे भगवद प्राप्ती नहीं हो सकती? जरूर हो सकती है।”

और दोस्तों भगवान के ऐसे अनंत भक्त है जिनको भगवद प्राप्ती हुई है, यानि कि उनको भगवान श्री हरि के साक्षात दर्शन हुए है और वो भगवान के धाम मे चले गए हुए हैं। जैसे की संत तुकाराम, संत मीराबाई, संत ज्ञानेश्वर, संत नामदेव, संत सखुबाई, संत एकनाथ, संत रामदास आदि….

9. Geeta Ka Saar in Hindi Me – भगवद प्राप्ति कैसे करे?

दोस्तों जब बात आती है भगवद प्राप्ती की और भगवान से प्रेम कैसे होगा? इसकी तो इस प्रश्न का भी उत्तर गीता में भगवान श्री कृष्ण ने दिया हुआ है। गीता के 9 वे अध्याय के 34 वे श्लोक में और 18 वे अध्याय के 65 वे श्लोक में श्री भगवान ने कहा है कि “अपने मन को सदैव मेरे नित्य चिंतन में लगाओ और मेरे भक्त बनो और मुझे नमस्कार करो और मेरी ही पूजा करो।

इस प्रकार तुम मुझमें पूर्णतया तल्लीन होने पर मुझ को निश्चित रूप से जरूर प्राप्त हो जाओगे, इसमें कोई संशय नहीं है। में तुम्हे वचन देता हु, क्योंकि तुम मेरे परम प्रिय मित्र हो।

दोस्तों अर्जुन को गीता का संपूर्ण ज्ञान देने के बाद भगवान ने अर्जुन को एक परम आदेश देते हुए कहा कि, यह ज्ञान सर्वाधिक गुह्यज्ञान (ब्रह्म ज्ञान) है, जो में सिर्फ अपने प्रिय मित्र को ही बताता हु और तुम मेरे परम प्रिय मित्र हो, इसलिए इसे अपने हित के लिए सुनो।

हे अर्जुन, तुम समस्त प्रकार के धर्मों का परित्याग करो और केवल मेरी शरण में आ जाओ। में तुम्हे समस्त पापों से तुम्हारा उद्धार कर दूंगा। तुम डरो मत।

दोस्तों यहां पर भगवान श्री कृष्ण के कहने का अर्थ यह है कि भगवान ने अर्जुन को गीता में ज्ञान तथा धर्म की विधियां बताई हुई है। जैसे कि ब्रह्म का ज्ञान तथा अनेक प्रकार के आश्रमों तथा वर्णों का ज्ञान, संन्यास का ज्ञान, इंद्रिय तथा मन संयम का ज्ञान, ध्यान का ज्ञान आदि सब का ज्ञान जिसे भगवान ने अर्जुन को गीता ज्ञान के रूप में दिया हुआ था।

उन सारी विधियों (अभी तक अर्जुन को बताई हुई विधि विधियां) का परित्याग करो और केवल और केवल मेरी शरण में आ जाओ, में तुम्हे तुम्हारे समस्त पापों से तुम्हारा उद्धार कर दूंगा। ऐसा कह रहे हैं श्री कृष्ण अर्जुन से। क्योंकि इसी शरणागति से हम सभी समस्त पापों से बच सकते है।

और गीता के 7 वे अध्याय में कहा है कि पापी व्यक्ति कभी भी भगवान श्री कृष्ण की पूजा नहीं कर सकता है। और अगर हमें भगवान की पूजा करनी है, तो हमे पाप मुक्त और माया से मुक्त होना पड़ेगा। और पापमुक्त और माया से मुक्त होने के लिए हमें भगवान श्री कृष्ण की शरण लेनी बहुत आवश्यक है।

क्योंकि गीता के 7 वे अध्याय के 14 वे श्लोक में भगवान कहते है कि “प्रकृति के ३ गुणों वाली इस मेरी दैवी शक्ति (माया) को पार कर पाना अत्यंत कठिन है। लेकिन जो मेरे शरणागत हो जाते है, वे इसे सरलता से पार कर जाते है।

दोस्तों इसलिए अगर हमे भगवद प्राप्ती करनी है तो हमे भगवान श्री कृष्ण की शरण लेना बहुत आवश्यक है। और तभी हम पाप मुक्त और माया से मुक्त हो सकते है। दोस्तों अब आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर भगवान की शरण कैसे ग्रहण करें?

दोस्तों भगवान की शरण कैसे लें? इस पर महान संत प्रेमानंद जी महाराज यह कहते है कि भगवान के पवित्र नाम (राम, कृष्ण, हरि, गोविंद, विट्ठल, राधा आदि) इनमें किसी भी एक नाम का जप कीजिए और कोई नशा मत कीजिए और व्यभिचार यानि परस्त्री गमन कभी मत कीजिए और अधर्म आचरण मत कीजिए, बल्कि अच्छे आचरण कीजिए जो धर्म पूर्वक हो।

दोस्तों नाम जप करने के लिए आप प्रमाणिक वैष्णव संप्रदाय से आए हुए मंत्रों का भी जाप कर सकते हो। उनकी लिस्ट हमने नीचे दी हुई है। दोस्तों आप इनमें से किसी भी एक महामंत्र से अपने नाम जप की यात्रा को शुरुआत कर सकते हो।

गौडीय वैष्णव संप्रदाय का हरे कृष्ण महामंत्र:

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे | हरे राम हरे राम राम राम राम हरे हरे

वारकरी वैष्णव संप्रदाय का महामंत्र:

राम कृष्ण हरि विट्ठल केशवा

राधा वल्लभिय वैष्णव संप्रदाय का महामंत्र:

राधा वल्लभ श्री हरिवंश

रामानुज संप्रदाय का महामंत्र:

ॐ नमो नारायणा

दोस्तों हमारे द्वारा आपके समक्ष लाया हुआ Top 9 Geeta Updesh In Hindi Article आपको कैसा लगा? यह हमे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमें जरूर बताएं। इसके साथ ही अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी, तो इस पोस्ट को अपने सभी मित्रों के साथ व्हाट्सएप और टेलीग्राम और फेसबुक पर शेयर जरूर कीजिए।

Geeta Updesh in Hindi Pdf Free Download

दोस्तो अगर आप Geeta Updesh in Hindi Pdf Free Download करना चाहते हो? तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप गीता उपदेश इन हिंदी पीडीएफ फ्री डाऊनलोड कर सकते हो।

धन्यवाद हरे कृष्ण…

FAQ Questions of Geeta Updesh in Hindi:

गीता में तीन पाप कौन से हैं?

गीता में काम, क्रोध और लोभ यह तीन पाप है।

भगवद गीता में 3 गुण क्या हैं?

भगवद गीता में 3 गुण है – सत्व, रजस और तमस।

गीता के अनुसार मनुष्य को क्या करना चाहिए

गीता के अनुसार मनुष्य को भगवान का भजन करते हुए निष्काम भाव से कर्म करना चाहिए और अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। और इस तरह से जीवन जीने से ही मनुष्य को भगवद प्राप्ति हो सकती है।

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